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धीरेंद्र शास्त्री का संकल्प: सबसे पहले राजस्थान में लहराएगा हिंदू राष्ट्र का ध्वज

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Peptech Time, Chhatarpur
20 अगस्त 2025, 07:37 am IST
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राजस्थान : सीकर के रैवासा धाम में चल रहे 9 दिवसीय सियपिय मिलन महोत्सव में कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने भावनात्मक और जोशीले संबोाधन में कहा कि राजस्थान की भूमि वीरों की भूमि है, यहां की मिट्टी ने महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं को जन्म दिया है। यही कारण है कि अगर कहीं हिंदू राष्ट्र का झंडा सबसे पहले फहराएगा तो वह राजस्थान ही होगा। उन्होंने राजस्थान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान पर जोर देते हुए कहा कि यहां केवल लोग ही नहीं बल्कि घोड़े और हाथी भी हिंदू परंपराओं के प्रति कट्टर समर्पण रखते आए हैं। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने रामप्रसाद हाथी का उल्लेख किया, जिसने दुश्मनों के घर का पानी और भोजन तक स्वीकार नहीं किया। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि रैवासा धाम को तीर्थ स्थल घोषित किया जाना चाहिए। यह भूमि केवल किशोरी जी और जानकी जी की ही नहीं बल्कि सालासर बालाजी और मेहंदीपुर बालाजी जैसे देवस्थलों की भी भूमि है। अब रैवासा धाम से यह भूमि रघुवीर की भी भूमि बन गई है। उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने का संकल्प दोहराया। उन्होंने घोषणा की कि 7 से 16 नवंबर तक इस मुद्दे पर एक बड़ी पदयात्रा निकाली जाएगी। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि हर हिंदू रोजाना एक घंटा हिंदू राष्ट्र के लिए समर्पित करे। विदेश यात्रा का जिक्र करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने युगांडा का उदाहरण दिया, जहां कन्यादान के समय दहेज में कन्या को गाय दी जाती है। उन्होंने कहा कि भारत को भी यह परंपरा अपनानी चाहिए। उनका कहना था कि भारत तभी हिंदू राष्ट्र बन पाएगा जब गौमाता सुरक्षित होगी और गौवध पर पूरी तरह प्रतिबंध लगेगा। पाकिस्तान पर तीखे शब्दों में निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत पर मिसाइल दागने की धमकी देता है, लेकिन भारत के पास उससे कहीं अधिक शक्तिशाली ताकत है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब छेड़ोगे तो छोड़ा नहीं जाएगा। कश्मीर तो लेंगे ही और दहेज में पाकिस्तान भी उठाएंगे। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए कहा कि भारत 900 किलोमीटर अंदर तक जाकर वार करने की क्षमता रखता है। अपने संबोधन में उन्होंने जातिवाद के बजाय राष्ट्रवाद को प्राथमिकता देने, वेद और संत परंपरा पर विश्वास रखने और गौ-सेवक बनने का आह्वान किया। उनका कहना था कि जब गौमाता बचेगी तभी भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा और तभी हिंदू समाज सुरक्षित रहेगा।

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