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इंदौरइंदौर में फिर चमत्कारिक जन्म: दो सिर और दो दिल वाली बच्ची ने ली पहली सांस

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इंदौर में फिर चमत्कारिक जन्म: दो सिर और दो दिल वाली बच्ची ने ली पहली सांस

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Peptech Time, Chhatarpur
15 अगस्त 2025, 11:35 am IST
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इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में 23 दिन बाद फिर एक ऐसी नवजात बच्ची ने जन्म लिया है।जिसके दो सिर, दो दिल और दो पैर हैं।बच्ची के चार हाथ हैं जबकि उसका सीना और पेट एक ही है. उसकी हालत स्थिर है लेकिन मेन ऑर्गन्स एक ही होने से इस केस में भी सर्जरी कर दोनों धड़ों को अलग-अलग करने की एक प्रतिशत भी संभावना नहीं है।बीते 24 घंटों के ऑब्जर्वेशन में दिखा है कि अगर एक बच्ची रो रही है तो दूसरी बच्ची के ऑर्गन्स मूवमेंट करने लगते हैं और उसकी भी नींद खुल जाती है। मॉनिटरिंग के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम बच्ची एमवाय अस्पताल में PICU में ऑक्सीजन पर हैउसे खरगोन में मोथापुरा गांव की सोनाली पति आशाराम ने जन्म दिया है।डिलेवरी 13 अगस्त को महाराजा तुकोजीराव हॉस्पिटल (MTH) में हुई थी।यहां से एमवाय अस्पताल रेफर किया गया. यह दंपती की पहली संतान है।उसकी सोनोग्राफी सहित कुछ जांचें होनी हैं. डॉक्टरों की एक टीम बच्ची की मॉनिटरिंग कर रही है।मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इस विकृति के साथ जन्मे बच्चे को कंजोइंड ट्विन्स कहते हैं. ऐसे मामले बहुत ही कम होते हैं। पिछले माह जन्मी बच्ची की 16 दिन बाद हो गई थी मौत बीती 22 जुलाई को इंदौर के MTH में ही दो सिर वाली एक और बच्ची जन्मी थीउसे दो हफ्ते तक स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में रखा गया था।इसके बाद परिवार ने उसे घर ले जाने का फैसला किया 6 अगस्त को देवास निवासी दंपती के घर पर बच्ची ने दम तोड़ दिया।बच्ची के दो सिर थे, लेकिन शरीर का पूरा हिस्सा एक था. दो सिर और एक शरीर वाली यह संरचना मेडिकल क्षेत्र में पैरापैगस डायसेफेलस नामक एक दुर्लभ स्थिति होती है। जीवित रहने की उम्मीद 0.1% से भी कम डॉ. प्रीति मालपानी (पीडियाट्रिशियन) के मुताबिक इस बच्ची का शरीर एक था लेकिन सिर दो थेफेफड़े, हाथ-पैर सहित अधिकांश अंग एक ही थे लेकिन हार्ट दो थे।इनमें से एक खराब हो गया था जबकि दूसरा हार्ट भी काफी कमजोर थाइसके चलते इस हार्ट पर दोनों सिरों में खून पहुंचाने को लेकर काफी दबाव था।ऐसे मामलों में जीवित रहने की उम्मीद 0.1% से भी कम होती हैवह वेंटिलेटर सपोर्ट और मां के दूध के कारण ही जिंदा थी।डॉक्टरों के मुताबिक, यह बच्ची जीवित भी रहती तो उसके खुद के लिए और परिवार के लिए स्थिति हमेशा काफी चुनौतीपूर्ण होती।इसके पूर्व डॉक्टरों ने उन्हें अलग करने की सर्जरी से संभावना से भी इनकार कर दिया था. दरअसल, उसके दोनों सिर गर्दन से जुड़े हुए थे. इस कारण सर्जरी संभव ही नहीं थी। न तो आनुवंशिक कारण, न ही मां के स्वास्थ्य से संबंध सुपरिटेंडेंट डॉ. अनुपमा दवे के मुताबिक, ऐसी स्थिति आनुवंशिक नहीं होती।आमतौर पर मां के स्वास्थ्य से इसका कोई संबंध नहीं होताऐसे केस 50 हजार से 2 लाख शिशुओं में एक होते हैं।यह बच्ची सिजेरियन हुई थीखास बात यह कि ऐसे बच्चे की पेट में ही मौत हो जाती है या फिर जन्म लेने के बाद 48 घंटे भी जीवित नहीं रह पाते।लेकिन यह बच्ची 16 दिन तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करती रही. यह मामला डॉक्टरों के लिए एक केस स्टडी रहा।

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