logo

ख़ास ख़बर
भोपाल"कर्मयोगी बनें" का विजन है, प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना : उच्च शिक्षा मंत्री परमार

ADVERTISEMENT

"कर्मयोगी बनें" का विजन है, प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना : उच्च शिक्षा मंत्री परमार

Post Media
News Logo
Unknown Author
18 अगस्त 2025, 05:30 pm IST
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter/X
Copy Link

Advertisement

भोपाल : उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने सोमवार को मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत कर्मयोगी बनें के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए देश के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वतजनों की उपस्थिति में सर्वोच्च परामर्शदायी समिति की प्रथम बैठक ली। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने उच्च शिक्षा में प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर कर्मयोगी बनें के विज़न (दृष्टि) को रेखांकित किया। मंत्री परमार ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता एवं जवाबदेहिता के लिए सरकार संकल्पित है। उच्च शैक्षणिक संस्थानों के परिवेश को सर्वसाधनसम्पन्न, विद्यार्थी अनुकूल, उत्कृष्ट एवं सकारात्मक बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं। मंत्री परमार ने कहा कि विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए सहानुभूति एवं सख्ती के समन्वय के साथ, विद्यार्थी केंद्रित कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। परमार ने कहा कि प्राध्यापक के प्रति विद्यार्थी का लगाव बने और विद्यार्थी, प्राध्यापक के आचरण एवं व्यक्तित्व का अनुसरण करें, इसके लिए प्राध्यापकों को अपनी जवाबदेहिता स्वतः ही सुनिश्चित करनी होगी। प्राध्यापकों के लिए भी सहानुभूति एवं सख्ती दोनों के समन्वय के साथ, शिक्षक प्रशिक्षण के लिए कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों दोनों के लिए इंडेक्स बनाने के लिए, जवाबदेही निर्धारित करना आवश्यक है। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि रिक्त पदों की पूर्ति, अधोसंरचना विकास एवं अन्य आवश्यक संसाधनों की पूर्ति के लिए सतत् कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों में आपसी समन्वय भी स्थापित हों। विद्यार्थियों के समग्र हितों को ध्यान में रखते हुए उच्च शिक्षा विभाग कर्मयोगी बने के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए क्रियाशील है। इस संबंध में प्राप्त सुझावों के आधार पर सतत रूप से चर्चा की जाएगी और सभी शिक्षाविद एवं विद्वतजन के सुझावों एवं परामर्श के आधार पर, विचार प्रक्रिया के क्रियान्वयन में सफल होंगे। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अवधारणा के अनुरूप एक-एक बिन्दु पर कार्य करने एवं उच्च शिक्षा मंत्री जी परमार के निर्देश एवं सभी से प्राप्त सुझावों के आधार पर और बेहतर कार्य करने की बात कही। राजन ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग, जावबदेही तय करने और उच्च शिक्षा में नैतिकता, गुणवत्ता एवं पारदर्शिता बढ़े, इसके लिए प्रतिबद्धता से कार्यरत है। यूनाइटेड कान्शसनेस के संयोजक एवं वैश्विक शिक्षाविद् डॉ विक्रांत सिंह तोमर ने विश्वविद्यालयों से प्राप्त सुझावों एवं उच्च शिक्षा में जवाबदेही योजना पर प्रकाश डाला। उन्होंने द्वारा कर्मयोगी बने आधारित चिन्हित किए गए 10 प्रमुख बिन्दुओं पर प्रस्तुतीकरण दिया, जिसमें मुख्य चुनौतियां, समाधान, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किए जाने तथा विद्यार्थियों की उपस्थिति, नैतिक मूल्यों, अधोसंरचना एवं रोजगार इत्यादि के संबंध में सभी विद्ववतजनों से सुझाव आमंत्रित किए गए। बैठक में देश के ख्यातिलब्ध शिक्षाविदों ने वर्चुअल माध्यम से जुड़कर, महत्वपूर्ण प्रासंगिक सुझाव एवं परामर्श दिए। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स आईआईटी कानपुर के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन ने कहा कि भारत एवं मध्यप्रदेश के संदर्भ में भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए प्राथमिकता के दिशा निर्देश एवं समाधान के बिन्दु सभी विश्वविद्यालय के कुलपति मिलकर तय कर लें, जिससे अच्छा कार्य हो सके। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (NAAC) बेंगलुरू के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि राष्ट्रीय नीति-2020 के अंतर्गत 12 हजार से अधिक शिक्षक एवं विद्यार्थियों से सुझाव प्राप्त किया जाना उत्कृष्ट कार्य है। कर्मयोगी शिक्षकों के लिए सभी आयाम पूर्ण करने के लिए नैक के बिन्दु भी शामिल होना चाहिए। कक्षायें आकर्षक हों, लर्निंग रिसोर्स बढ़ाया जाए एवं शैक्षणिक कार्यप्रणाली आकर्षक हों। संबंधित विषय, पाठ्यक्रम के वीडियो भी विकसित किए जाएं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली की कुलगुरु प्रो. शांति धुलीपुड़ी ने कहा कि टोटल मॉडल के शार्ट एवं लांग टर्म तय करें, शिक्षक आगे चलकर निश्चित ही निष्काम कर्मयोगी की तरह कार्य करेंगे। विद्यार्थियों के लिए विजन और मिशन का दृष्टिकोण बनाने के लिए छोटे छोटे मॉड्यूल बनाएं। कर्मयोगी बनना बहुत बड़ा कदम है। आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक प्रो. भरत भास्कर ने कर्मयोगी बनें के लिए लक्ष्य निर्धारण कर क्रियन्वित किए जाने का विचार प्रस्तुत किया। प्रो. भास्कर ने कहा कि शिक्षकों का मोटिवेशन बढ़ाना होगा। विद्यार्थी कोंचिग की ओर अग्रसर न हों। विद्यार्थी संबंधित विषय वस्तु स्वंय पढ़कर कक्षाओं में आएं। बैठक में विषयानुरूप विभिन्न बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई और विश्वविद्यालयों से प्राप्त सुझावों एवं उच्च शिक्षा में जवाबदेही योजना को लेकर व्यापक विचार-मंथन किया गया। प्रमुख सचिव राजभवन डॉ. नवनीत मोहन कोठारी एवं विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी उच्च शिक्षा डॉ धीरेंद्र शुक्ल सहित उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे। डॉ. विक्रांत सिंह तोमर ने उक्त बैठक में सभी विद्वतजनों के संकलित सुझावों का वाचन किया। आयुक्त उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा ने आभार व्यक्त किया।

Today In JP Cinema, Chhatarpur (M.P.)