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लखनऊपांच हजार के स्टांप से खत्म होंगे झगड़े, सरकार करेगी योजना लॉन्च

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पांच हजार के स्टांप से खत्म होंगे झगड़े, सरकार करेगी योजना लॉन्च

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Peptech Time, Chhatarpur
15 अगस्त 2025, 08:09 am IST
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लखनऊ : स्टांप व पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने विकसित भारत विकसित यूपी के विजन-2047 पर चर्चा करते हुए बड़े बदलावों की तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभिन्न न्यायालयों में सबसे ज्यादा मामले पारिवारिक विवादों के हैं। हम जल्द ऐसी योजना लाने जा रहे हैं जिसमें चार पीढ़ियों में आपसी सहमति से विवाद का खात्मा मात्र पांच मिनट में पांच हजार रुपये के स्टांप से हो जाएगा। किराये संबंधी विवाद भी बहुत हैं। इन्हें भी कम करने के लिए रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन के नियमों को शिथिल कर ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि मात्र 1000, 2000, या 3000 में ही इसका पंजीकरण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पासपोर्ट कार्यालय की तर्ज पर रजिस्ट्री ऑफिसों को भी अत्याधुनिक बनाया जाएगा। छोटे मूल्य के स्टांप पेपर पर स्टांप वेंडरों का कमीशन बढ़ाया जा रहा है। एटीएम की तर्ज पर स्टांप पेपर की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री के बाद तुरंत स्वतः दाखिल खारिज की व्यवस्था भी की जा रही है। घर बैठे बहुत से प्रपत्रों की रजिस्ट्री कराने की व्यवस्था भी की जा रही है। स्टांप ड्यूटी का भुगतान कई माध्यमों से किया जाने की व्यवस्था की जा रही है। अब विवाह का पंजीयन विवाह स्थल पर ही कराने की व्यवस्था की जा रही है। बिना स्टांप ड्यूटी बढ़ाए विभाग के राजस्व में तीन गुना बढ़ोतरी उन्होंने कहा कि कौटिल्य ने कहा था कि कर वसूली संतुलित होनी चाहिए इतनी कि राज्य के खर्च पूरे हों, लेकिन प्रजा पर बोझ न पड़े। कर वसूली के बाद भी प्रजा के पास अपने जीवन और व्यापार के लिए पर्याप्त संसाधन बचे। कर वसूली का तरीका धीरे-धीरे और न्यायसंगत हो। जैसे सूर्य वाष्प उठाकर बाद में वर्षा के रूप में पानी वापस देता है, वैसे ही राज्य को कर के रूप में ली गई राशि को सार्वजनिक सेवाओं, सुरक्षा, विकास और कल्याण योजनाओं के रूप में प्रजा को लौटाए, इसी सिद्धांत पर विभाग काम कर रहा है। इसी का नतीजा है कि बिना स्टांप ड्यूटी बढ़ाए विभाग का राजस्व तीन गुना बढ़ा है। पिछले आठ वर्ष से सर्किल रेट में बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसके बावजूद आठ साल में रजिस्ट्री की संख्या 28 लाख से बढ़कर 50 लाख हो गई हैं।

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