logo

ख़ास ख़बर
दिल्लीपीएम मोदी की चीन यात्रा: राजनीतिक से ज्यादा कूटनीतिक पहल

ADVERTISEMENT

पीएम मोदी की चीन यात्रा: राजनीतिक से ज्यादा कूटनीतिक पहल

Post Media
News Logo
Unknown Author
16 अगस्त 2025, 07:30 am IST
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter/X
Copy Link

Advertisement

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के तियानजिन जाएंगे। यह दौरा सिर्फ एक बहुपक्षीय मंच पर मौजूदगी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक उद्देश्य हैं। दरअसल 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। पिछले साल जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं में सहमति बनी थी कि सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों पर हावी नहीं होने दिया जाएगा। पीएम मोदी का चीन दौरा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य सीमा पर स्थिरता लाना, द्विपक्षीय व्यापार घाटे को कम करना और तकनीकी सहयोग बढ़ाना है। चीन लंबे समय से पाकिस्तान का करीबी सहयोगी रहा है। भारत का सीधे चीन के साथ रिश्ते सुधारने का प्रयास पाकिस्तान के प्रभाव को संतुलित करने की एक रणनीति मानी जा रही है। यह यात्रा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाती है, यानी भारत किसी भी एक देश पर पूरी तरह निर्भर नहीं है। हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ तनाव सामने आए हैं। एससीओ में भारत की सक्रिय भागीदारी यह संदेश देती है कि नई दिल्ली सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं है, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन कर रही है। भारत की प्राथमिकताएं: भारत की प्राथमिकताओं में सीमा पर शांति, 100 अरब डॉलर से अधिक के व्यापार घाटे को कम करना और सीधी उड़ानें, निवेश तथा नई तकनीकों में सहयोग बढ़ाना शामिल है। भारत कुछ जोखिमों पर भी नजर रखेगा, जैसे कि डोनाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका की इंडो-पैसिफिक और क्वाड (क्वाड) के प्रति प्रतिबद्धता, पाकिस्तान पर अमेरिकी नीति में बदलाव, और एच-1बी वीजा तथा भारतीय पेशेवरों पर पड़ने वाला संभावित प्रभाव।

Today In JP Cinema, Chhatarpur (M.P.)