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राजनीतिपूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की सीएम योगी से अपील, शाहजहांपुर जिले का नाम बदल दें

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पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की सीएम योगी से अपील, शाहजहांपुर जिले का नाम बदल दें

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Peptech Time, Chhatarpur
18 अगस्त 2025, 03:30 pm IST
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बरेली। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से शाहजहांपुर जिले का नाम बदलने की मांग कर दी है। उन्होंने कहा कि यह गुलामी के दौर का नाम है। बरेली के आंवला में वीरागंना रानी अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचीं पूर्व सीएम उमा भारती ने कहा कि मैं यहां आ रही थी, तब मैंने शाहजहांपुर नाम का एक जिला देखा। यह नाम ठीक नहीं लग रहा। मैं योगी से इसका नया नाम प्रस्तावित करने का आग्रह करती हूं। उन्होंने कहा कि यह नाम वह दुबारा नहीं सुनना चाहती हैं। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, कैबिनेट मंत्री धर्मपाल भी मौजूद रहे। प्रतिमा अनावरण के बाद जनसभा को संबोधित कर उमा ने कहा कि पिछड़े और दलितों के बिना भाजपा राजनीति नहीं कर सकती है। उन्हें सभी को साथ लेकर चलना होगा और बराबर में कुर्सी देनी होगी। लोधी समाज ने एकजुट होकर भाजपा को सत्ता तक पहुंचाया है, इसके बाद अन्य पिछड़े समाजों को भी भाजपा में अपना हित नजर आया। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण में दलितों और पिछड़ों को बराबर की हिस्सेदारी चाहिए। महिला विधेयक में तय किया जाए कि उन्हें कितना आरक्षण निश्चित रूप से दिया जाएगा। इसके लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। राममंदिर पर उमा भारती ने कहा कि मथुरा और काशी में मंदिर होने के साक्ष्य प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं, लेकिन अयोध्या में मंदिर के साक्ष्य, तब जमीन के नीचे दबे थे। इसलिए विवादित ढांचा गिराया जाना जरूरी था, इस विवादित ढांचे को गिदने का काम बाबूजी कल्याण सिंह के शासन में किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि आज हमें गुलामी के चिह्नों को मिटाते हुए आगे बढ़ना है। उन्होंने योगी सरकार को धन्यवाद देकर कहा कि उन्होंने तीन महिला पीएसी बटालियन का गठन कराया है, जिसमें एक वीरांगना अवंतीबाई लोधी, दूसरी उदय देवी और तीसरी झलकारी बाई के नाम पर होगी। इनमें एक बटालियन का मुख्यालय बदायूं में होगा। लोधी समाज को सर्वाधिक सम्मान भाजपा और जनसंघ ने दिया है। पूर्व सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया ने कहा कि उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह नहीं होते, तब राम मंदिर का निर्माण नहीं होता। उनके त्याग और समर्पण को समाज और देश कभी भुला नहीं पाएगा। उन्होंने विभिन्न राजनैतिक विचारधाराएं छोड़कर एकजुट होने पर जोर दिया। लोधी समाज को क्रमिनल आदिवासी बताए जाने पर आपत्ति जताई।

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