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राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संबोधन: 'संविधान और लोकतंत्र हमारे लिए सर्वोपरि'

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Peptech Time, Chhatarpur
15 अगस्त 2025, 05:06 am IST
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नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी और कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस प्रत्येक भारतीय बड़े उत्साह के साथ मनाता है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, मैं स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं. यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस प्रत्येक भारतीय बड़े उत्साह के साथ मनाता है. ये ऐसे दिन हैं जो हमें विशेष रूप से हमारे गौरवान्वित भारतीय होने की याद दिलाते हैं. हमारा लोकतंत्र सबसे ऊपर उन्होंने कहा, आजादी हासिल करने के बाद हम ऐसे लोकतंत्र के रास्ते पर आगे बढ़े जहां हर वयस्क को मताधिकार प्राप्त हुआ. दूसरे शब्दों में हम भारत के लोगों ने, अपने भाग्य को आकार देने का अधिकार खुद को दिया... चुनौतियों के बावजूद भारत के लोगों ने लोकतंत्र को सफलतापूर्वक अपनाया... हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सबसे ऊपर है. विभाजन से मिले दर्द को कभी नहीं भूलना चाहिए राष्ट्रपति ने कहा, जब हम अतीत पर नजर डालते हैं, तो हमें देश के विभाजन से मिले दर्द को कभी नहीं भूलना चाहिए. आज हम विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहे हैं. विभाजन के कारण भयंकर हिंसा हुई और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा. आज हम उन लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं जो इतिहास की गलतियों के शिकार हुए. सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए उन्होंने कहा, हमारे संविधान में लोकतंत्र के चार स्तंभों के रूप में चार मूल्यों का उल्लेख है. वे हैं - न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व. ये हमारे सभ्यतागत सिद्धांत हैं, जिन्हें हमने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पुन खोजा. मेरा मानना है कि इन सभी के मूल में मानवीय गरिमा की धारणा है. प्रत्येक मनुष्य समान है और सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि सभी को स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक समान पहुंच होनी चाहिए. सभी को समान अवसर मिलने चाहिए, जो लोग पारंपरिक व्यवस्था के कारण वंचित थे, उन्हें मदद की जरूरत थी. इन सिद्धांतों को सर्वोपरि रखते हुए, हमने 1947 में एक नई यात्रा शुरू की. विदेशी शासन के लंबे वर्षों के बाद, स्वतंत्रता के समय भारत घोर गरीबी में था, लेकिन तब से 78 साल में, हमने सभी क्षेत्रों में असाधारण प्रगति की है. भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की राह पर है और बड़े आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है.

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